आत्मा में रमण का नाम ब्रह्मचर्य धर्म: आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज
Brahmacharya Religion
Brahmacharya Religion: चड़ीगढ़ दिगम्बर जैन मंदिर सेक्टर- 27B में आज अनंत चौदस महापर्व पर आचार्य श्री सुबलसागर जी महाराज के सानिध्य में सभी भगवान श्री बिम्ब का महाभिषेक वा शांतिधारा सम्पन्न हुई। और आज उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर सम्बोधन दिया कि ब्रह्मचर्य सभी धर्मो में श्रेष्ठ है वा सभी धर्मों का सार है। ब्रह्मचर्य अथार्त जो आत्मा में आचरण कराऐ। पब ज्ञानी जीव या साधक, साधना,ज्ञान, चारित्र की गहराई में प्रवेश करता है। जब वह पांच इन्द्रियों के भोगों को रोग के समान समझ करें उनका त्याग करने वाले साधु ही आत्मा का असीम सुख आनंद में तल्लीन रहते है।
पतित से पावन बनने वाली आप तक जितनी भी आत्माएँ है सभी ने ब्रह्मचर्य की उपासना की है, उसे अंतरंग में उतारा है इन्होंने ने ही ब्रह्मचर्य की महानता को समझा है। आचार्य महाराज कहते हैं कि इस काम स्वरूपी विष को मैं कालकूट हलाहल विष से भी महाविष मानता हूँ, क्योंकि जो पहला कालकूट विष है वह तो उपाय करने से मिट जाता है, परंतु दूसरा जो काम रूपी विष है वह उपाय रहित है अर्थात् इलाज करने से भी नहीं मिलता है। इसलिए ब्रह्मचर्य रक्षा के लिए प्रभु भक्ति स्वाध्याय, पाँचों इन्द्रियों पर संयम तथा श्रृंगार त्याग इनसे ब्रह्मचर्य की रक्षा होती है। आज सायं कालीन परम पूज्य संमतिरत्न सिधचक्र आराधक आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में श्री जी की भव्य रथ यात्रा निकली गयी जो की सेक्टर 27 की परिक्रमा करते हुए लगभग 500 श्रद्दालुओं ने हिसा लिया यात्रा के पश्चात आचार्य श्री ने उत्तम ब्रह्मचर्य की रक्षा बताते हुए सभी को अपने प्रवचनों के माध्यम से आशीर्वाद दिया व उसके पश्चात् आचार्य श्री के मुखारविन्द से अभिषेक व शांतिधारा करायी गई यह जानकारी बाल ब्र. गुंजा दीदी ने दी।
यह पढ़ें:
मुनिआलोक जैसी मिलनसारिता बेहद कम देखने मे आती है: डा. इंद्र विजय
चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के जून-जुलाई 2022 सर्वे के बाद: अवैध रूप से रह रहे 83 लोगों की अलाटमेंट कैंसिल